Top 20+ class 2 short moral stories in hindi

Top 20+ class 2 short moral stories in hindi
Hindi moral Story

Class 2 Short Moral Stories in Hindi: Pyare dosto aaj hum class 2 ki short stories in hindi ke bary mein jaanyege, kahaniyaan toh hum sabhi ne bachpan mein bhut souni hogi par yeh moral hindi stories bacho ko bhut acchi knowledge deengi, aur unke jeevan ke antt tak bhut help karyegi.. Toh chalo pyare doston jaante hai Hindi moral Stories For Class 2

अंगूर तो खट्टे है ( class 2 short moral story in Hindi)

Top 20+ class 2 short moral stories in hindi
Hindi moral story

One Day एक भूखी लोमड़ी अंगूर के बगीचे में घुम रही थी । बेलों के ऊपर पके हुए अंगूरों के गुच्छे लटक रहे थे। यह सब देख लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। मुँह ऊपर की ओर करते उसने अंगूर पाने की बहुत कोशिश की। पर वह बिलकुल भी सफल न हो सकी। अंगूर तो काफी ऊँचाई पर थे।
अंगूरों को पाने के लिए लोमड़ी खूब उछली, पर फिर भी वह अंगृूरों तक वह नहीं पहुँच सकी। जब तक वह पूरी तरह थक नहीं गई, वह उछलती ही रही। आखिरकार थककर उसने उम्मीद छोड़ दी और वहाँ से चलने लगी । ओर जाते-जाते उसने कहा, “अंगूर तो खट्टे हैं। ऐसे खट्टे अंगूर कौन खाऐगा ??”

Moral – हार को मानने में हर्ज क्या।


बंदर का इंसाफ (class 2 short moral stories in hindi)

एक बार की बात है दो बिल्लियाँ थीं। उन्हे जाते वख्त एक दिन रास्ते पर एक केक दिखाई दिया। एक बिल्ली ने तो उछल कर फौरन उस केक को उठा लिया। दूसरी बिल्ली भी उससे केक छीनने लगी। पहली बिल्ली ने कहा, चल हट! यह केक तो मैंने देखा मेरा है पहले मैंने ही इसे उठाया है। दूसरी बिल्ली ने कहा, इसे पहले मैने देखा था, इसलिए यह केक मेरा हुआ।
उसी समय वहाँ से एक बंदर जा रहा था। दोनो बिल्लियो ने उससे कहा की, भाई तुम्हीं फैसला करो और हमारा झगड़ा निपटाओ। बंदर ने कहा, लाओ पहिले यह केक मुझे दो। मैं इसके दो बराबर-बराबर हिस्से करूँगा और दोनों को एक-एक हिस्सा दे दूँगा। बंदर ने केक के दो दुकड़े किये। उसने दोनो टुकड़ो को बारी-बारी से देखा।
फिर अपना सिर हिलाते हुए कहा, दोनो टुकड़े बराबर नही हैं। यह टुकड़ा दूसरे टुकड़े से बड़ा है। उसने बड़े टुकड़े से थोड़ा हिस्सा खा लिया। दोनो हिस्से बराबर नही हुए। बंदर ने फिर बड़े हिस्से में से थोड़ा खा लिया। बंदर बार-बार बड़े टुकड़े में से थोड़ा-थोड़ा खाता रहा। अंत मे केक के केवल दो छोटे-छोटे टुकड़े ही बचे।
बंदर नें बिल्लयो से कहा, ओ-हो-हो! अब भला में इतने छोटे-छोटे टुकड़े मैं तुम्हे कैसे दे सकता हूँ? चलो मैं ही एसे खा लेता हूँ। यह कहकर बंदर केक के दोनो टुकड़े मुँह में डालकर वहाँ से चलता बना।

Moral – दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा।


भेड़िए की चाल (class 2 short moral stories in hindi)
एक भेड़िया बीमारी की वजह से कुछ कमजोर हो गया। जंगल में शिकार कर अपने लिए भोजन जुटाना अब उसके लिए संभव न रहा। उसने एक चाल चली
भेड़ की खाल ओढ़कर वह भेड़ों के एक झुंड में घुस गया। किसीको पता न चला। चरवाहे को भी नहीं। बस, अब क्या था ! मौज ही-मौज। भेड़िया रोज चुपके से एक भेड़ के बच्चे को अलग ले जाता और मिनटों में गड़प कर जाता।
कुछ रोज यह युक्ति चलती रही। एक दिन चरवाहे के घर पर कुछ मेहमान आनेवाले थे। उसने एक बड़ी सी भेड़ को काटकर उसका सालन बनाने का निश्चय किया। अचानक उसकी दृष्टि भेड़ की खाल ओढ़कर भेड़ बने भेड़िए पर गई । चरवाहे ने फौरन उसकी गरदन धड़ से अलग कर दी।

Moral of Hindi story-- जैसी करनी वैसी भरनी ।


छोटा और बड़ा काम (class 2 short moral stories in hindi)
अब्राहम लिंकन जब अमेरिका की धारा सभा के सदस्य चुने गए तो उनका अभिनंदन करने के लिए अपार मानव समूह उमड़ पड़ा। उसमें अनेक जाने-माने और धनी लोग भी थे। जब ये सारे लोग लिंकन के घर पहुँचे तो वे अपनी गाय दुह रहे थे।
कुछ समय तक विस्मय का वातावरण बना रहा । आखिर जब एक सज्जन से न रहा गया तो उसने पूछ डाला, “अरे, आप देश के अग्रणी नेता होकर अपने हाथ से गाय दुह रहे
लिंकन ने मुसकराकर उत्तर दिया, “भाइयो, काम कोई छोटा-बड़ा नहीं होता। हम लोग श्रम से डरते हैं और अपना काम औरों पर छोड़ देते हैं। यह हमारे भीतर की एक बड़ी कमी है। “

Moral of Hindi story – वही सफल होता है जिसका काम उसे निरंतर आनंद देता है ।


समझदार भालू (class 2 short moral stories in hindi)

एक शिकारी शिकार करने गया था। उसके कंधे पर एक बड़ी भरी हुई बंदूक और एक कारतूस का पट्टा था। सामने ऊँचे-ऊँचे पहाड़ दूर-दूर तक फैले हुए थे। पहाड़ों में एक हजार फीट गहरी खाई थी। घाटी के उस पार एक छोटा सा फुटपाथ था जो दोनों पहाड़ों को जोड़ता था। कई जंगली बेर पके हुए थे। वह जानता था कि भालू बेर खाना पसंद करते हैं।
उसने एक छोटे भालू के शावक को गलियारे से दूसरे पहाड़ पर जाते हुए देखा। गोली लगने से भालू घाटी में गिर जाता, इसलिए कोई फायदा नहीं होता, इसलिए वह चुपके से खड़ा हो गया। उसने दूरबीन से दूसरी तरफ एक बड़ा भालू देखा।
वे दोनों झगड़ेंगे और घाटी में गिरकर मर जायेंगे , उसने मन ही मन बड़बड़ाया। पगडंडी इतनी संकरी थी कि पीछे चलना नामुमकिन था और दोनों का एक साथ निकलना नामुमकिन था। उसने गौर से देखा।
एक गोली मारता तो दूसरा चिल्लाता और घाटी में गिर जाता। देखने के अलावा मैं कुछ नहीं कर सकता था।
दोनों भालू आमने-सामने आ गए। फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि वह पद छोड़ने के बाद क्या करेंगे। पाँच मिनट तक वे शांत हुए और शिकारी ने देखा कि बड़ा भालू छिपकर बैठ गया है। छोटा भालू उसके ऊपर चढ़ गया। बड़ा भालू खड़ा हो गया।

Moral of the story – हे भगवान, जानवर कितने समझदार होते हैं और लोग आपस में बहस कर रहे होते हैं। शिकारी बिना गोली चलाए चला गया। उसने शिकार करना छोड़ दिया। संत के आचरण को देखने से भी दृष्टि वाले व्यक्ति में सुधार होता है।

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